स्कूल शिक्षा विभाग में मुख्यमंत्री के पास था तब तक अफसर अपनी नहीं चला पा रहे थे। नए मंत्री के आने के बाद अफसर हावी हो गए है। यहां तक शिक्षा मंत्री के गतिविधियों पर नजर रखने भेदिया भी तय कर लिए हैं। प्रदेश में दो माह पूव्र शासकीय कर्मचारियों के तबादले की नीति जारी की गई थी। नीति में साफ कहा गया था कि युक्तियुक्तकरण के चलते उनके तबादलों में प्रतिबंध रहेगा। नए मंत्री के आने के बाद अफसरोें ने दो दर्जन् से ज्यादा तबादले कर दिए।
तबादलों में युक्तियुक्तकरण में ग्रामीण क्षेत्र में पदस्थ शिक्षकों को प्रतिनियुक्ति में लाकर शहर में बिठाया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में फिर एक बार शिक्षकों की कमी दिखने लगी है। स्कूल शिक्षा विभाग में इसके नाम पर ट्राइबल के शिक्षकों को भेजा जा रहा है। शिक्षा विभाग के सचिव परदेसी पूरे मामले में घिरते नजर आ रहे हैं। संचालनालय में बैठे अफसर चा वरे को सचिव के पसंद का माना जा रहा है। यहां पर बंजारा और चावरे की युगल जोड़ी सीधे सचिव को हर गतिविधि की जानकारी दे रहे हैं।
उनके द्वारा लाए गए प्रकरणों को विशेष तौर पर आगे बढ़ाया जाता है। मंत्री के दुर्ग स्थित कार्यालय से सीधे फंडिग हो रहा है। परदेसी के दो अफसर भी बहती गंगा में हाथ धो रहे हैं।
यहां आशुतोष व बंजारा मिलकर पूरा खेल कर रहे हैं। प्रदेश में प्राचार्य स्तर के अफसर पूरी सेवा कर रहे हैं। उन्हें ही तबादले और प्रतिनियुक्त का लाभ मिल रहा है। प्रतिनियुक्ति में आने पर उन्हें 2500 तक भत्ता हर महीने मिल रहा है। वहीं एचआरए भी तीन प्रतिशत अधिक मिल रहा है। इन अतिरिक्त लाभ को चढ़ावा करा कर आए हैं।

वैसे भी पिछले कार्यकाल में मुख्यमंत्री सचिवालय में रहे परदेशी शुतुरमुर्ग की तरह रेत में सर गढ़ाकर बैठे हैं। नए मंत्री के जन्म दिन में विशेष खर्च करने उन्होंने अपने एक शख्स को वहां फिट कर दिया है। मंत्री समझ तो सब रहे हैं, लेकिन अंजान बनकर तबादले के फाइलों को स्वीकृति दिला रहे हैं। वैसे नए-नए पद में आने के बाद खर्च बढ़ गए है उनकी पूर्ति परदेसी के चुकारे से ही करना होगा।
साय जी देख रहे हैं जिस गुणवत्ता के लिए डीईओ और बीईओ को निलंबित किया था, अब ये उन्हीं को चढ़ा रहे हैं। संयुक्त संचालक बस्तर राकेश पांडे आरोप प्रत्यारोप के बाद क्यों नहीं हटाया जा रहा है कहीं परदेसी का हाथ तो नहीं मंत्री जी को इस मामले साय साय निर्णय लेना चाहिए
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