रायपुर। कांग्रेस के आंतरिक संगठन चुनाव को लेकर गंभीर आरोप सामने आए हैं। पार्टी के कई कार्यकर्ताओं ने दावा किया है कि संगठन चुनाव पूरी तरह से “फर्जी और माफिया प्रभाव” में चल रहा है। उनका कहना है कि कांग्रेस जहां एक ओर देशभर में ईवीएम और चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाती है, वहीं अपने ही संगठन चुनावों में पारदर्शिता की कमी दिखा रही है।
सूत्रों के अनुसार, बिल्डर, भू-माफिया, सट्टा और फार्महाउस से जुड़े प्रभावशाली लोगों ने अपने-अपने समर्थकों को पैसे और दबाव के बल पर पदों के लिए खड़ा किया है। इसके चलते पुराने और निष्ठावान कार्यकर्ता निराश होकर घर बैठ गए हैं। कार्यकर्ताओं का आरोप है कि कांग्रेस का संगठन चुनाव अब केवल “औपचारिकता” बनकर रह गया है, जिसमें निष्ठा और मेहनत की बजाय पैसे और रसूख का बोलबाला है।
बताया जा रहा है कि कुछ नेताओं ने फर्जी संगठनों और लेटरपैड का इस्तेमाल कर अपने करीबियों को चुनाव प्रक्रिया में शामिल कराया। कई डॉक्टरों और वकीलों को भी रिश्तेदारी और जान-पहचान के आधार पर दावेदारी दिलाई गई।
इस बीच, छत्तीसगढ़ कांग्रेस में जिलाध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर चल रहा “संगठन सृजन अभियान” अब अंतिम चरण में है। लगभग 80 प्रतिशत जिलों में चयन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, जबकि बाकी जिलों में दीपावली तक यह काम पूरा हो जाएगा। हालांकि, जिलाध्यक्षों की सूची अब बिहार विधानसभा चुनाव के बाद ही जारी होगी।
रायपुर में भी दावेदारों से पर्यवेक्षक प्रफुल्ल गुडधे पाटिल ने मुलाकात की और छह संभावित नामों का पैनल तैयार किया है। माना जा रहा है कि प्रदेश के सभी जिलाध्यक्षों की अंतिम सूची दिसंबर के आख़िर या मकर संक्रांति (14 जनवरी) के बाद जारी की जा सकती है।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कहना है कि अगर पार्टी ने इस बार भी “फर्जी और माफिया प्रभाव वाले” संगठन चुनाव को नहीं रोका, तो निष्ठावान कार्यकर्ताओं का भरोसा पूरी तरह से टूट सकता है।
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