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कौन है राशन बचत घोटाले का मास्टर माइंड!

कांग्रेस शासन काल में बड़े बड़े घोटाले हुए जिसमे सबसे अधिक चर्चित घोटाला राशन चांवल बचत का घोटाला है। केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी में कोयला और शराब घोटाले मामले में इनके मास्टर माइंड अधिकारियो को साल भर पहले से गिरफ्तार कर सेंट्रल जेल में दाखिल कर दिया है लेकिन राशन चांवल बचत घोटाले का मास्टर माइंड अभी भी केंद्र अथवा राज्य के जांच एजेंसी के गिरफ्त से बाहर है और मिलते समय के जरिए घोटाले के सारे साक्ष्य मिटाने के प्रयास भी हो रहे है. वर्तमान विधान सभा अध्यक्ष डा रमन सिंह 15 साल छत्तीसगढ के मुख्य मंत्री रहे थे। उनके कार्यकाल में प्रदेश की सार्वजानिक वितरण प्रणाली देश की एक नंबर वितरण प्रणाली थी। डा रमन सिंह, गरीबों के पैरवीकार थे। उन्होंने गरीबों को देश भर में सबसे कम एक रूपये किलो में चांवल देने का काम किया था। इसी कारण डा रमन सिंह चाऊर वाले बाबा भी कहलाए।

2019 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन गई जिसमें जनता की हर योजना में भ्रष्ट्राचार की योजना बनी।नान घोटाले के आरोपी अनिल टुटेजा के संरक्षण में खाद्य विभाग में भी लूट की योजना बनी। डा रमन सिंह सरकार के कार्यकाल में गरीबों को दिए जाने वाले चांवल को पैसा कमाने का जरिया बनाया गया। धान खरीदी बिक्री में भ्रष्ट्राचार, चांवल की क्वालिटी में भ्रष्ट्राचार, राइस मिलर के भुगतान में भ्रष्ट्राचार, गरीबों को दिए जाने वाले राशन दुकान में रखे चांवल में भ्रष्ट्राचार का काम चलता रहा। विधान सभा में विपक्ष की तरफ से भूतपूर्व मुख्य मंत्री डा रमन सिंह, बृजमोहन अग्रवाल,अजय चंद्राकर, शिव रतन शर्मा, सहित 5000 राशन दुकानों में चांवल बचत घोटाले के रूप 600 करोड़ रूपये के घोटाले के दस्तावेजी प्रमाण प्रस्तुत किए लेकिन तत्कालीन खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने जांच कराने के बजाय घोटाले को भाजपा शासन काल में होने की बात कह कर सदन को गुमराह कर दिया। कांग्रेस को भरोसा था कि अगली सरकार उनकी ही बनेगी सो कोई जांच नही होगी। एक साल तक प्रदेश के मीडिया ने मुद्दा उठाया लेकिन घोटाले की जांच नही हुई। अब प्रदेश में भाजपा की सरकार बन चुकी है ।राशन चांवल बचत घोटाले के मास्टर माइंड ने घोटाले को दबाने के लिए कई रास्ते अपनाए है.

पहला रास्ता तकनीकी त्रुटि का निकाला गया है। 2007 से प्रदेश में कंप्यूटर के माध्यम से राशन दुकानों की कुंडली बनी हुई है। केवल राशन दुकानों से खाद्यान्न बटने के उपकरण बदले है। स्टॉक की जानकारी कही से भी नहीं छुपाई जा सकती थी। विभाग ने हर राशन दुकान का महीने का घोषणा पत्र भरवाया है।मतलब स्टॉक की गड़बड़ी नहीं हो सकती है। राशन घोटाले के मास्टर माइंड ने 2021दिसंबर में प्रदेश के जनभागेदारी पोर्टल से 13हजार राशन दुकानों के घोषणा पत्र घोटाले की मात्रा को छुपाने के लिए हटवा दिया।इस बात की शिकायत डा रमन सिंह ने केंद्रीय खाद्य मंत्रालय को की है।
राशन दुकानों को घोटाले की चांवल मात्रा को बराबर करने के लिए बाजार से चांवल खरीद कर रखवाने के मौखिक निर्देश घोटाले के मास्टर माइंड ने वीडियो कांफ्रेंस में कई बार दिया। जबकि राशन दुकानों में केवल नागरिक आपूर्ति निगम ही अधिकृत है। इसकी जांच होना चाहिए कि प्रदेश के कितने राशन दुकानदार द्वारा बाजार से चांवल खरीदा और उनके पास बिल है या केवल फर्जी काम किया गया है।
घोटाले के मास्टर माइंड ने रिकवरी जैसा शब्द इजाद कर राशन दुकानों के कमीशन बिना अनुमति के कटवा दिए गए। एक राशन दुकान दार का कहना है कि नागरिक आपूर्ति निगम के मध्यम से कमीशन राशि मिलती है लेकिन बिना सहमति के राशि काट ली गई है। जिसकी जांच होनी चाहिए।

राशन चांवल बचत घोटाले के मास्टर माइंड ने खाद्य डायरेक्टर ऑफिस में अनिल टुटेजा के जरिए डायरेक्टर को कोई काम करने की आजादी नहीं दी। खुद ही सारे घोटाले को एनआईसी के जरिए अंजाम देते रहा। भाजपा सरकार ने दो महीने पूरा कोटा चांवल देने के बाद तीसरे महीने बीते दो महीने के चांवल के मात्रा को घटा कर देने का नियम बनाया था।इसे ताक में रखकर राशन बचत चांवल के घोटाले के मास्टर माइंड ने हर महीने पूरा चांवल भेजा जिससे भारत सरकार को 600करोड़ की सब्सिडी का नुकसान हुआ और सरकार में बैठे लोगो ने।

इतनी राशि डकार गए। बताया जाता है कि मोबाइल से भारत सरकार को भेजी गई शिकायत की जांच इस मास्टर माइंड द्वारा घोटाले को दबाने के लिए किया जा रहा है। जांच का विषय ये भी है जब राशन दुकानों के छोटे से गोदाम में। 500 से 1000 क्विंटल चांवल रखा था तो फिर से 200- 300 क्विंटल क्यों भेजा गया।? ये 600 करोड़ के राशन चांवल बचत घोटाले के मास्टर माइंड को गिरफ्तार कर पूछा जाना चाहिए. छत्तीसगढ़ में भाजपा का अब दायित्व बनता है कि कांग्रेस के शासन काल में हुए राशन चांवल बचत घोटाले की जांच ईडी से करवाई जाए ताकि मास्टर माइंड की काली करतूत जनता के सामने आए

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