रायपुर । नागरिक आपूर्ति निगम में 2012 में सहायक प्रबंधकों की सीधी भर्ती हुई थी। भर्ती में न्यूनतम आयु 35 वर्ष निर्धारित की गई थी। सीधी भर्ती में सामान्य प्रशासन विभाग भर्ती नियमों के सभी नियम तैयार करता है।भर्ती नियम के आधार पर शासन सभी दास्तावेज का सत्यापन करने के बाद किसी व्यक्ति काे नियुक्ति देता है। उसके आधार पर ही विभागीय अफसर पदक्रम सूची तैयार कर उन्हें पदोन्नति और अन्य सुविधाएं देता है।
यहां आपका ध्यान शासन की एक गंभीर चूक की ओर आकर्षित कर रहे हैं। 30 जुलाई को नान ने सहायक प्रबंधकों की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी कर 35 वर्ष आयु सीमा के व्यक्तियों के लिए आवेदन आमंत्रित किया। संतोष अग्रवाल जिनकी जन्म तिथि 29 अक्टूबर 1976 है उन्होंने पद के लिए आवेदन किया। उनके आवेदन को बिना जांचे ओव्हर एज होते हुए भी स्वीकृत कर दिया गया। परीक्षा में सफल लोगों के साक्षात्कार लिए गए नियुक्ति भी हुई , लेकिन शासन के कर्ता धर्ता लोगों को ओव्हर ऐज के व्यक्ति का दास्तावेज सत्यापन के बाद भी यह मामला पकड़ में नहीं आया। या यह कह सकते हैं कि मामला ध्यान में आने के बाद भी अफसरों ने आंख मूंद कर उन्हें नियुक्ति दे दी। आज 13 साल की नौकरी के बाद उप प्रबंधक के पद पर कार्यरत है।
सत्ताधीशों की दलाली के कारण मामला दबा
नियुक्ति के बाद कई शिकायतें हुई। यहां तक विधानसभा में भी ध्यानाकर्षण के माध्यम से सवाल लगे, लेकिन सत्ताधीशों की दलाली के कारण मामला उजागर नहीं हुआ। अब पीड़ित पक्ष के लोगों ने न्याय की उम्मीद में लोकतंत्र के चौथे स्तंम्भ के सामने यह मामला लाया है। उनके सारे दास्तावेजों के जांच-पड़ताल के बाद हमने पाया कि यह मामला गंभीर है, और अनयमितता की श्रेणी में आता है अत: ऐसे अफसर को नौकरी से तत्काल बाहर किया जाना चाहिए।
जीएडी ले तत्काल एक्शन
यह मामला इसलिए भी खास है कि उक्त अफसर की नियुक्ति अब खाद्य मंत्री दयाल दास के यहां ओएसडी के पद पर हो गई है। मंत्री का पूरा काम वहीं संभाल रहा है। सारे लेन देन से लेकर हर तरह के कार्य संतोष अग्रवाल ही करता है। जो स्वयं फर्जी आधार पर नौकरी में नियुक्त हुआ है। वह विभाग में भी बड़े फर्जी वाड़ा को अंजाम दे सकता है। अत:सामान्य प्रशासन विभाग को हमारी रिपोर्ट के आधार पर पूरे मामले को जांच के लेकर ऐसे अफसर पर तत्काल एक्शन लेना चाहिए।
नान अध्यक्ष को दास्तावेज सहित शिकायत
नान में फर्जी नियुक्ति के मामले में नान के अध्यक्ष संजय श्रीवास्तव को भी इसकी पूरी प्रति भेजकर मामले की जांच कराने का आग्रह किया गया है। यहां यह भी बता दे कि यह वहीं नान है जहां पर जिस दौर में नियुक्ति हुई उस समय अफसरों ने 3000 करोड़ को नान घोटाला किया था। यह नियुक्ति उन्हीं घोटाले बाज अफसरों की शह पर हुई है। अत: जीरों टालरेंस वाली साय सरकार इस मामले को संज्ञान में लेकर कार्रवाई करे। और फर्जी नियुक्त अफसर से अब तक दिए गए वेतन भत्ते की वसूली का कानूनी कार्रवाई करें।
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