MP News: मध्य प्रदेश में ‘जहरीली’ कफ सिरप कोल्ड्रिफ पीने की वजह से अब तक 25 बच्चों की मौत हो चुकी है. इन मौतों से राज्य सरकार से ने बड़ा सबक लिया है. अब नकली दवाओं और दवाई में होने वाली मिलावट की जांच के लिए राज्य सरकार ने प्लान बनाया है. दवाओं में होने वाली मिलावट की जांच माइक्रो लेवल पर हर जिले में कराई जाएगी. इसके लिए केंद्र के पास 211 करोड़ का प्रस्ताव भेजा गया है.
हर जिले में होगी दवाओं की जांच
मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के सभी जिले में दवाओं में होने वाली मिलावट की जांच माइक्रो लेवल पर कराने की तैयारी की है. इसके लिए दवाओं की जांच के पूरे सिस्टम को अपग्रेड करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है. सभी जिलों में मोबाइल लैब की मदद से दवाओं की जांच की जाएगी. इस बदलाव पर करीब 211 करोड़ रुपए खर्च करने की तैयारी है.
211 करोड़ रुपए का प्रस्ताव केंद्र को भेजा
यह प्रस्ताव राज्य औषधि सुरक्षा और नियामक सुदृढ़ीकरण योजना (SSDRS 2.0) के तहत केंद्र सरकार को भेजा गया है. अब तक दवाओं की जांच सिर्फ भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर तक सीमित थी. अब हर जिले में ड्रग इंस्पेक्टर का स्वतंत्र कार्यालय बनाया जाएगा. इसके लिए 110 करोड़ का प्रावधान है. 50 करोड़ की लागत से चारों स्टेट ड्रग लैब को अपग्रेड किया जाएगा.
वहीं, इस जांच के लिए एक माइक्रोबायोलॉजी लैब भी तैयार की जाएगी. इस लैब में वे जांचें भी हो सकेंगी, जो अब तक नहीं हो पा रही थी. इसे लेकर अधिकारियों का कहना है कि इससे हर दवा की गुणवत्ता की जांच और निगरानी मजबूत होगी.
जांच के मुताबिक माइक्रो लैब में जांच के दौरान जाच की जाएगी कि किसी किसी दवा में फंगस-बैक्टीरिया, मिलावट या कोई अन्य रासायनिक गड़बड़ी तो नहीं है. इन लैबों को NABL मान्यता दिलाने की तैयारी की गई है, जिसका जिक्र भी प्रस्ताव में किया गया है.
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