रायपुर। समता सोसायटी में शिकारपुरी स्थित एक जमीन के खसरा नंबर को रोड़ के उपर दिखाकर दूसरे की जमीन पर कब्जा कर अवैध निर्माण कराया जा रहा है। मामले का खुलासा उस समय हुआ जब भू-स्वामी के द्वारा अपने जमीन के खसरे का सीमांकन कराया। उसने पाया कि सोसायटी के वकील ने अपनी पत्नी के नाम 43 साल पहले खरीदी जमीन का पुर्ननिर्धारण कर मूल खसरे से अलग खसरे मेें जमीन को दिखा दिया गया। पूरा खेल अफसरों की मिली भगत और षडयंत्र के तहत हुआ।



वैसे आम आदमी के लिए जमीन के मामलों में इतनी आसानी से जमीन पटवारी रिकार्ड में खोज पाना मुमकीन नहीं है। यह बता दें कि समता सोसायटी के वकील की बहू राज्य प्रशासनिक सेवा से चयनित होने के बाद रायुपर सहित कई जिलों में पदस्थ रही। उनके बैच की कई अफसरों से नजदीकी संबंध का फायदा उठाते हुए अपने ससुराल की जमीन को रोड़ पर दिखाया गया है। यह भी बता दें कि छत्तीसगढ़ पीएससी के 2003 बैच की भर्ती में धांधली हुई थी। उसी बैच की उपज वकील की अफसर बहु भी है।



बगैर रजिस्ट्री पेपर के पास करा ली नक्शा
अपने प्रभाव के इस्तेमाल से निगम में भी उन्होंने बर्गर रजिस्ट्री पेपर जमा किए खसरा नंबर के आधार पर नक्शा पास करा लिया। निगम को जब इसकी शिकायत मिली तो दस्तावेज खंगाला गया तो इसे सही पाया गया। अब निर्माणाधीन अवैध व्यावसायिक परिसर को तीन नोटिस दिया जा चुका है। निगम के अफसरों को अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर अफसर बहु फोन कर मामले डिले करने का प्रयास कर रही है।


भू-स्वामी प्रकरण दायर करेंगे
वरना पिछले एक साल से अपनी जमीन पाने के लिए घुम रहे भू-स्वामी को इसका हक नहीं मिल पाया है। मामले में यह भी बता दें कि मूल भू-स्वामी को षडयंत्र के तहत समता सोसायटी ने फंसा कर निजी जमीन को अपनी बताकर पटवारी रिकार्ड में गड़बड़ी की है। अब पूरा मामला साफ होने के बाद निगम ने निर्माण तो रूकवा दिया, लेकिन जमीन को धोखाधड़ी कर पाने का मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। भू- स्वामी की ओर से अब इस मामले में फर्जीवाड़ा कर जमीन हड़पने का प्रकरण दायर करने की तैयारी की जा रही है।



न्यायालय में करेंगे चैलेंज
साथ ही नगर एवं ग्राम निवेश के द्वारा दिए गए पुर्ननिर्धारण आदेश को भी सक्षम न्यायालय में चेलेंज किए जाने का मन बना लिया है। बताया जाता है कि मूल रजिस्ट्री में जमीन का खसरा 510/2 बताया गया है। रजिस्ट्री में मिले पेपर में एक में पंजीयक का हस्ताक्षर है, दूसरे में हस्ताक्षर और सील नहीं होने से फर्जीवाड़ा की आशांका और मजबूज होती है। देखना यह है कि जिला प्रशासन इस पर क्या कार्रवाई करती है। बताया जाता है कि मामले मेें ईओडब्ल्यू को भी शिकायत की गई है। ईओडब्ल्यू मामले की तहकीकात कर रही है। जिन लोगों ने गलत किया है उन तक पहुंचने में अब देर नहीं होगी।
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