क्या देव उठनी के साथ साथ छत्तीसगढ़ से भी कुछ उठेगा!

प्रधानमंत्री, छत्तीसगढ़ के पच्चीस साल पूरे होने पर रजत जयंती मनाने दिल्ली से रायपुर आए। दिल्ली का रायपुर आना याने राजधानी से राजधानी आना,साधारण बात नहीं होती। राजनीति में आने के भी मायने है और जाने के भी। छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार को पटकनी देकर भाजपा ने बड़ी बाजी जीती थी। ये जीत भाजपा से ज्यादा मोदी शाह की जोड़ी की मानी गई थी। कारण भी था।कांग्रेस के पास मुख्य मंत्री का चेहरा था और भाजपा बिना चेहरे के चुनाव लड़ रही थी। महतारी वंदन योजना ने भाजपा को सत्ता में वापस ला दिया। बहुत हद तक भूपेश बघेल के कॉकस के नंगेपन ने भी भाजपा को अवसर दिया।

प्रदेश के आदिवासियों ने जम कर सीट दिलाई तो आभार भी व्यक्त किया गया। प्रदेश में कई दिनों तक कयास लगते रहे और जब तुरुप का पत्ता खोला गया तो विष्णु देव साय जैसे सीधे साधे व्यक्ति को प्रदेश की कमान सौंप दी गई। वो काल केंद्र के शीर्ष पर बैठे व्यक्तियों की सफलता का मद था सो जो किया अच्छा किया वाली बात हो गई। प्रदेश में राजनैतिक संतुलन के लिए धर्म, जाति के आधार पर साहू, शर्मा काबिज हो गए।

अबकी बार 400 पार के नारे की हकीकत सामने आई तो सांप सूंघ गया था। सारी गणित फैल। केंद्र में बैसाखी सरकार के दिन आ गए। गठबंधन सरकार की अपनी मजबूरी होती है। इसका फायदा छत्तीसगढ़ मे नौकरशाहो ने उठाना शुरू किया और अब स्थिति ये आ गई है कि रिमोट सरकार से निकल कर ब्यूरोक्रेसी सरकार की कहानी चल रही है। मुख्य मंत्री विष्णु देव साय को केवल कार्यक्रमों में उलझा कर स्थिति ये ला दी गई है कि राज्य में नेतृत्व का नाम लेवा नहीं बचा है।

बिजली बिल के झटके के बाद अब धान खरीदी में। जितनी उपज उतनी खरीदी का झटका लगने वाला है। आम आदमी त्रस्त है,किसान भी त्रस्त होगा।नौकरशाही का ये आलम है कि उनके निर्णय की साफगोई है कि अगर अभी चुनाव करा दे तो भाजपा हार जाएगी। क्या इस बात की भनक केंद्र को लग गई है या लगा दी गई है। देव उठनी के बाद देवता जाग जाते है।शुभ कार्य किए जा सकते है। इस बात के संकेत प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज बातों बातों में कह दिया है।

राजनीति के गलियारे में इस बात का धुंआ उठ रहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे निकलने के बाद ही दो राज्यों के नतीजे फिर से निकलेंगे।राजस्थान और छत्तीसगढ़। दोनों राज्यों में मुख्यमंत्री के दायित्व में दोनों सफल नहीं रहे है।ऐसी स्थिति में सरकार को नया नेतृत्व देकर डेमेज कंट्रोल करने की कवायद कर सकती है।

छत्तीसगढ़ में अगर परिवर्तन की बयार चलती है तो कौन होगा नया मुख्यमंत्री? 15अक्टूबर और 1नवंबर 2025 के दो दिन को देखे तो तीन बार के मुख्य मंत्री डॉ रमन सिंह के तरफ उम्मीद बढ़ते दिख रही है। जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डा रमन सिंह को महत्ता दी है उससे लगता तो यही है कि अनुशासित डा रमन सिंह को छत्तीसगढ़ में खेवनहार माना जाता है। डेमेज कंट्रोल कर्ता,इंतजार करिए “बाल दिवस” जाने का!

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