क्या आक्रमण ही सुरक्षा है या सुरक्षा के लिए आक्रमण है

जांच एजेंसियो के द्वारा किसी प्रकरण में संदिग्ध लोगों से पूछताछ करने का सर्वाधिकार सुरक्षित है।इसमें न्यायालय भी हस्तक्षेप नहीं करता है। बड़े मामले में तो और भी न्यायालय जांच एजेंसियो को सुरक्षा प्रदान करता है। इतने के बावजूद अगर कोई व्यक्ति जांच एजेंसी के खिलाफ प्रतिवाद करता है तो इसके कई मायने निकाले जाते है। पहला कि जिस व्यक्ति को जांच एजेंसी ने पूछताछ के लिए बुलाया है वह दिखावे की बात कर रहा है, सहानुभूति पाने के लिए, दूसरा वह व्यक्ति एजेंसी के द्वारा पूछताछ के दौरान किए जाने वाली कड़ाई से बचना चाहता है और तीसरा यह कि वास्तव में व्यक्ति निर्दोष है और भय के कारण न्याय चाहता है। कोयला और डीएमएफ( दो -दो) घोटाले में निखिल चंद्राकर को आर्थिक अपराध अनुसंधान विभाग ने प्रकरण दर्ज किया है।

कांग्रेस के पिछले शासनकाल में सरकार के नुमाइंदे सहित जितने भी आरोपी पकड़ाते थे, उनके लिए पुलिस वाला गुंडा जनसंपर्क से अनधिकृत प्रेस विज्ञप्ति जारी करवाता था। सेंसरशिप थी, झकमारी सारे समाचार पत्र छापते थे। निखिल चंद्राकर, निवासी महासमुंद को कांग्रेस शासनकाल में कोयला घोटाले के मास्टरमाइंड सूर्यकांत तिवारी का विश्वस्त सहयोगी माना जाता रहा है। टन पीछे रुपया वसूली करना ,और सही जगह( अनिल टुटेजा,सौम्या चौरसिया, राम गोपाल अग्रवाल ,समीर विश्नोई सहितअनवर ढेबर) तक पहुंचाने की जिम्मेदारी निखिल चंद्राकर की थी। ईडी ने ताबड़तोड़ छापे मारे थे तो निखिल चंद्राकर फरार हो गया था जिसे बाद में मुंबई से पकड़ा गया था।

निखिल चंद्राकर पर एक युवती ने बलात्कार की रिपोर्ट भी न्यायालय के आदेश पर दर्ज करवाई है।इस युवती के यहां से मेडिकल रिपोर्ट और अन्य दस्तावेज चोरी के लिए निखिल चंद्राकर के दो गुर्गे निलेश सरव्या मोंटी और गणेश वर्मा गोलू को पुलिस गिरफ्तार भी की है। निखिल चंद्राकर सीखा हुआ आरोपी है।अपने पकड़ाए जाने के बाद विभिन्न माध्यमों से ईडी के अधिकारियों की शिकायत किया। अब भूपेश बघेल के करीबी गिरीश देवांगन के माध्यम से न्यायालय में शिकायत कर रहे है कि निखिल चंद्राकर के द्वारा एसीबी के द्वारा दर्ज मामले में इकबालिया बयान (धारा 164के तहत) की प्रक्रिया गलत होने का आरोप मढ़ा है।

कोयला घोटाले में मुख्यमंत्री कार्यालय के चौकड़ी पैसा वसूल करवाते थे। पैसा सुरक्षित पहुंचे इसके लिए थानों में वाहनों के नंबर थे जिनकी जांच नहीं होती थी। निखिल चंद्राकर इस काम में शातिर था। विपक्ष में बैठी कांग्रेस ने निखिल चंद्राकर के मामले। आक्रामक बनी है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आरोप लगा रहे है कि निखिल चंद्राकर का धारा 164के तहत लिया गया बयान विधिक नहीं है। इसे पूर्व में लिखवा कर जबरदस्ती हस्ताक्षर करवाने के बाद पेन ड्राइव के माध्यम से न्यायालय में प्रस्तुत किया गया है। धारा 164के तहत न्यायधीश के समक्ष स्वप्रेरणा से कथन लिपिबद्ध किया जाता है। इस दौरान कोई भी जांच दल का अधिकारी आसपास नहीं होना चाहिए।

भाजपा शासन काल में राज्य की जांच एजेंसी पर भी निखिल चंद्राकर ने ईडी के अधिकारियों के बाद शिकायत की है। इसे ऑफेंस इस द बेस्ट डिफेंस मान सकते है। इसमें से किसी भी पक्ष के सही होने पर दूसरे पक्ष की किरकिरी होना तय है। एक बात और है कि शासन किसी भी पार्टी का हो।एसीबी के प्रमुख विवादास्पद ही होते रहे है। आरिफ शेख पिछली सरकार में रिश्वत खोरी और अनुपातहीन संपत्ति के प्रकरण बनना बंद था लेकिन चौथ वसूली का कीर्तिमान रचा गया। अपने ही विभाग के अधिकारी को सोना भिजवाने के नाम पर इसी आरिफ शेख ने षडयंत्र रचा था।

Check Also

CG SIR: छत्तीसगढ़ में अब तक 54% से ज्यादा वोटर्स को गणना प्रपत्र वितरित, इस तरह खुद ऑनलाइन भर सकते हैं अपना फॉर्म

CG SIR Update: छत्तीसगढ़ समेत देश के 12 राज्यों में SIR यानी मतदाता सूची के …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *