रायपुर: छत्तीसगढ़ कांग्रेस के लिए आलाकमान ने मनमोहन सिंह कैबिनेट के पूर्व राज्य मंत्री और राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट को प्रदेश प्रभारी बनाया है। सचिन पायलट प्रतिभावान कांग्रेसी है, राजस्थान में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए सत्ता में पार्टी को लाए थे।ये बात अलग है की मुर्गे ने की मेहनत अंडा फकीर खा गया। सचिन नाराज़ भी हुए थे, बगावत भी किए थे लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया नहीं बन पाए।घर में ही रहे।
उनको छत्तीसगढ़ का प्रभारी बनाया गया है। सत्ता से केवल 11सीट दूर बैठे कांग्रेस को 2028 विधान सभा चुनाव में सत्ता दिलाने का दमखम दिखाना है। दिक्कत इस बात की है कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस की स्थिति 2003के समान फिर हो गई है। इस साल सत्ता के दौर में अजीत जोगी कांग्रेस से ऊपर हो गए थे।उन पर आलाकमान का हाथ जो था।अब भी स्थिति ऐसी ही है। कांग्रेस शासनकाल में भूपेश बघेल कांग्रेस पार्टी से ऊपर हो गए थे,है भी।

अजीत जोगी का विरोध तो भूपेश बघेल ने खुल कर किया और सफलता पूर्वक कांग्रेस से बाहर का रास्ता दिखा भी दिया था। भूपेश बघेल की खिलाफत करने वाले जांच एजेंसी को जिम्मा सौंप कर तमाशा देख रहे है। जांच एजेंसी ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र को शराब घोटाले में उठाकर जेल दाखिल कर दिया है। सचिन पायलट ,प्रदेश प्रभारी होने के नाते बिट्टू से मिले या भूपेश बघेल को संवेदना देने के लिए पारिवारिक कारणों से मिले, ये प्रश्न कांग्रेस/भाजपा के मुख्यालय सहित चौराहों में पूछा जा रहा है। सचिन पायलट ये जरूर जानते होंगे कि बिट्टू, कांग्रेसी पिता के पुत्र है, गैर कांग्रेसी दादा के पौते है और खुद निर्दलीय है।
मुख्यत: बिट्टू कारोबारी व्यक्ति है,रियल एस्टेट का काम है। अब कोई 19फ्लैट एक साथ खरीदना चाहे तो बिट्टू का तो भला ही होगा,ये अलग बात है। बिट्टू को जांच एजेंसी ने शराब घोटाले में कथित तौर पर 16करोड़ का लाभ और एक हजार करोड़ की राशि को इधर उधर करने के आरोप में जेल भेजा है। सचिन पायलट आज मिल लिए है।पारिवारिक रूप से ये मिलन जायज है।पार्टी लाइन के प्रश्न पर अनेक नेताओं के मुंह सूज गए है। पांच साल तक मुख्यमंत्री कार्यालय के चौकड़ी के ताने सुनकर मन मनोसने वाले नाराज़ है, सचिन पायलट से, अगर प्रदेश कांग्रेस प्रभारी होने के नाते गए है तो! बाकी ये रिश्ता क्या कहलाता है सब जानते है,
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