रायपुर। जमीन के खेल में कब कौन सा फर्जीवाड़ा हो जाए यह समझ के परे हैं। बड़े-बड़े लोग भी इसे नहीं समझ पाते। राजस्व रिकार्ड को बदलना आसान नहीं है, लेकिन पटवारी और तहसीलदार से सांठगांठ हो जाए तो सारा काम आसान हो जाता है। हम यहां आपको बता रहे हैं कि समता सोसायटी में कैसे 42 साल बाद रकबा में छेड़छाड़ कर मौके की जमीन हथिया ली गई। अगर शांतिदेवी महोबिया पंसारी की रजिस्ट्री के कागजात की जांच कर ली जाए तो पूरा मामला सामने आ जाएगा।




निगम के अफसरों ने खसरा और बी1 के आधार पर जमीन का व्यावसायिक नक्शा पास कर दिया। मामले में शिकायत पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। पूरा मामला हाईप्रोफाइल होने के कारण निगम के अफसर भी डरे हुए हैं। अब इस मामले में नामांतरण रिपोर्ट आने के बाद जमीन के कारोबारी और नेता पूरे मामले को जोरशोर से उठा रहे हैं। ऐसे में तहसीलदार ज्याेति सिंह के कारनामों को हवा मिलनी शुरू हो गई है। दरअसल इस मामले में समता सोसायटी में शांति महोबिया पंसारी के नाम से यह जमीन 29 जून 1984 में रजिस्ट्री हुई थी।




रजिस्ट्री होने के बाद यह जमीन वर्षाें तक निर्माण नहीं होने के कारण सोसायटी में लोगों ने जमीन के मूल नक्शे पर न बैठ कर अपनी जमीन खोजने में लगे रहे। 2023 में इस जमीन का नया बी1 बनाकर उसका नक्शा ही बदल दिया गया। 42 साल बाद यह कारनामा कैसे हो गया। पटवारी और तहसीलदार किसके प्रभाव में आकर ऐसा कर रहे हैं, जांच का विषय है।




अफस्रर बहु के आने के बाद हुआ खेल
शांति देवी की अफसर बहु के आने के बाद परिवार की नींद खुली और जमीन की खोजबीन की गई। अफसर बहु प्रियंका ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल रायपुर में पदस्थ रहते किया। तहसील के राजस्व अधिकारी ज्याति सिंह के माध्यम से खसरा और पटवारी नक्शे में हेरफेर कर शांति देवी के जमीन को मौके पर दिखा दिया। मजेदार बात यह है कि निगम में नक्शा पास कराने के लिए जमीन की रजिस्ट्री पेपर के साथ बी1 और पटवारी नक्शा की कापी भी लगाई जाती है।






बी1 और कूटरचित नक्शा
यहां पर केवल बी1 और कूटरचित नक्शा लगाकर अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर निगम से नक्शा पास करा कर पांच मंजिला व्यावसायिक काम्पेलेक्स निर्माणाधीन है। मामले में श्री मानिकपुरी को सही स्थिति की जानकारी हाेने पर निगम से दास्तावेज जुटाए और पूरा फर्जीवाड़ा उजागर कर दिया। अब नक्शा निरस्त न हो इसके लिए निगम के अफसरों के पास जैसे ही मामला जाता है मैडम का फोन आ जाता है।



कहां हैं विष्णु का जीरो टालरेंस
ऐसे में जीरो टालरेंस वाली भाजपा की नगरीय निकाय विभाग पूरे मामले को संज्ञान में क्यों नहीं ले रही समझ के परे हैं। उप मुख्यमंत्री अरुण साव के विभाग में एक प्रमोटी आईएएस की इतनी हैसियत हो गई कि जालसाजी कर जमीन का खसरा और बी1 फर्जी ढंग से रिकॉर्ड में चढ़वा लिया गया।
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