नान घोटाला : हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच की याचिकाओं को किया निराकृत, अब विचारण न्यायालय में लगाया जा सकेगा आवेदन…

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 2015 के चर्चित नान घोटाले की सीबीआई से जांच करने संबंधी याचिकाओं को निराकृत किया. अब जिन लोगों की नान घोटाले में भूमिका होने के बाद भी एसीबी ने चालान नहीं किया, अब उनके खिलाफ विचारण न्यायालय में आवेदन लगाया जा सकेगा. इसके साथ धरमलाल कौशिक के द्वारा एसआईटी जांच के खिलाफ लगाई गई याचिका को वापस लेने की अनुमति दी.

गौरतलब है कि नान घोटाले से संबंधित याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने के कारण करीब 4 साल से इन याचिकाओं की सुनवाई नहीं हो पा रही थी. सितंबर के महीने में सुप्रीम कोर्ट से संबंधित सभी मामलों का निराकरण होने के बाद आज हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस पीपी साहू की विशेष खंडपीठ में इन जनहित याचिकाओं के साथ अन्य याचिकाओं पर सुनवाई हुई.

सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने इस बात को नोट किया कि केवल ‘हमर संगवारी’ एनजीओ और अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव द्वारा लगाई गई जनहित याचिकाओं में ही अधिवक्ता या याचिकाकर्ता अदालत में उपस्थित हैं. इसके अलावा अन्य याचिकाओं की तरफ से कोई उपस्थित नहीं हुआ. वहीं भारतीय जनता पार्टी के नेता धरमलाल कौशिक की ओर से अधिवक्ता गैरी मुखोपाध्याय उपस्थित थे.

राज्य सरकार की ओर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दिल्ली से अधिवक्ता अतुल झा ने कोर्ट को बताया कि 10 सालों में इस मामले में ट्रायल कोर्ट में 224 में से 170 गवाहों की गवाही हो चुकी है, और मामला अब अपने अंतिम चरण की ओर जा रहा है. खंडपीठ ने अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव से याचिकाकर्ता की भूमिका पर सवाल किए और पूछा कि उनका इस मामले से क्या संबंध है. अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने जवाब में अपनी जनहित याचिका के बारे में बताते हुए कहा कि जिन व्यक्तियों का चालान हुआ है, या जिनका विचारण चल रहा है, उस पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है, बल्कि वे उसका समर्थन करते हैं.

श्रीवास्तव ने आगे कहा कि एसीबी ने अपनी जांच में बहुत सारे लोगों को छोड़ दिया है, और उनकी सीधी भूमिका होने के बावजूद अभियुक्त नहीं बनाया है. यहां तक कि जहरीले नमक सप्लाई करने वाले अभियुक्त मुनीश कुमार शाह की अब तक गिरफ्तारी भी नहीं की गई है. एसीबी की जांच आधी अधूरी है. अतः उनकी याचिका इस जांच को सीबीआई को देकर इन सभी व्यक्तियों के ऊपर भी कार्यवाही करने के लिए है.

इस पर खंडपीठ ने कहा कि यह मांग तो विचरण न्यायालय में धारा 319 का आवेदन लगाकर भी पूरी की जा सकती है, और यह कहते हुए कि मामला 10 साल से अधिक पुराना है, और अब जांच एजेंसी बदलने की मांग उचित नहीं लगती. विचारण अब अंतिम चरण में है, सभी जनहित याचिकाओं को निराकृत या खारिज कर दिया.

क्या है नान घोटाला?
एक समय छत्तीसगढ़ की राजनीति में भूचाल मचा देने वाले नान घोटाले में वस्तुतः छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध पीडीएस स्कीम या राशन प्रणाली वितरण में हुई गड़बड़ी से संबंधित है. एसीबी की चार्ज शीट के अनुसार, नागरिक आपूर्ति निगम पर यह जिम्मेदारी थी कि वह छत्तीसगढ़ में राशन वितरण एवं साथ ही साथ अन्य सामानों के वितरण के लिए चावल का प्रोक्योरमेंट और दाल, नमक आदि सभी चीजों का प्रोक्योरमेंट कर उनका वितरण करें.

2011 की जनसंख्या के अनुसार, छत्तीसगढ़ राज्य में 55 लाख परिवार कुल होने के बावजूद 70 लाख राशन कार्ड बनाए जाने और उसके माध्यम से हजारों करोड़ों का राशन अफरा-तफरी करने के आरोप है. जहां तक राशन कार्ड में आदिवासी इलाकों में आयोडाइज्ड नमक की सप्लाई की बात है. लेकिन नान ने घटिया क्वालिटी की सामग्री की आपूर्ति की.

चार्ज शीट के अनुसार, नान के 27 के 27 जिला प्रबंधक और क्षेत्रीय कार्यालय तथा मुख्यालय अध्यक्ष, मैनेजिंग डायरेक्टर आदि सभी सरकार में उच्च स्तर संरक्षण प्राप्त रैकेट को संचालित कर रहे थे. एसीबी में इसके बावजूद सभी जिला प्रबंधकों को अभियुक्त नहीं बनाया. यही नहीं छापे के दौरान ऐसे बहुत से लोक सेवक, जिनके पास घोटाले की रकम पहुंचाने के पुख्ता सबूत मिले, उनसे कोई पूछताछ तक नहीं हुई.

कुल मिलाकर एंटी करप्शन ब्यूरो और इकोनामिक ऑफेंस विंग द्वारा छापा मारने के बाद एक तरह से मामले को रफा-दफा करने का प्रयास अधिक किया. यहां तक की मुख्य अभियुक्त की गिरफ्तारी भी तुरंत नहीं हुई.

2018 में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनने के बाद इसकी विशेष जांच के लिए एक एसआईटी का गठन हुआ था. परंतु तब के नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने इस मामले की एसआईटी जांच करने के खिलाफ एक जनहित याचिका लगा दी. आगे जाकर भाजपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी ने भी इस मामले को सीबीआई जांच के लिए देने का विरोध किया और ऐसा आवेदन जनहित याचिका में लगाया.

इस मामले की 2017, 2019 और 2021 में तीन बार लंबी-लंबी सुनवाई हुई, परंतु मामले में अंतिम फैसला नहीं आया. इसी बीच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई याचिका के आधार पर हाईकोर्ट में इन जनहित याचिकाओं पर चल रही सुनवाई पर रोक लगा दी गई. 2 साल से अधिक समय तक यह रोक प्रभावी रही और अब सुप्रीम कोर्ट में ई डी की याचिकाओं का निराकरण होने के बाद इन जनहित याचिकाओं पर सुनवाई का रास्ता साफ हुआ है.

Check Also

CG News: छुट्टियां ही छुट्टियां… साल 2026 के लिए छत्तीसगढ़ सरकार का कैलेंडर जारी, देखें छुट्टियों की पूरी लिस्ट

छत्तीसगढ़ सरकार ने साल 2026 के लिए सरकारी छुट्टियों का कैलेंडर जारी कर दिया है. …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *