छत्तीसगढ़ में जल जीवन मिशन योजना पिछड़ती जा रही है। पहले कांग्रेस सरकार के समय पूरे मामले में कमीशन का खेल चला। काम समय पर शुरू होने के बजाय ढाई साल देर से शुरू हुआ। तब भाजपा ने ही कमीशन खोरी का आरोप लगाया था। अब जब वे सरकार में आए तो स्थिति उल्टी हो गई। डबल इंजन के सरकार में 60:40 की रेशियों वाले प्रोजेक्ट का दम घुटने लगा है। पिछले दो सालों से केंद्र की लगभग 3 हजार करोड़ रुपए नहीं मिला। फिर भी सरकार अपनी छवि बनाने मामले में कोई विशेष कार्य नहीं करा रही है।
उनका मानना है कि इसके पूर्व जो संचालक थे उन्होंने हर काम की प्रगति देख पूरे मामले में यह कहा जा रहा है कि विभागीय मंत्री अरुण साव को स्वयं पूरे मामले को देखना चाहिए। वे केवल मीडिया बाइट तक ही सीमित हो गए है। मिशन का काम आधा-अधूरा है। कई जगहों पर टंकी बनी है, तो पानी नहीं है। पानी है तो पाइप लाइन नहीं बिछी है। इन सब के बीच सरकार का दावा है कि 75 प्रतिशत से अधिक काम हो गया है।
हर काम के आगे सांय-सांय करने की दुहाई देने वाले पैसा देने में पीछे रह गए हैं। बारिश के समय निर्माण कार्य नहीं होने के कारण निर्माण विभागों में ठेकेदारों की फाइलों में धूल जता हो गई है। जब ठेकेदारों ने आंदोलन की रणनीति तैयार की तो धूल झाड़ी गई लेकिन उन्हें ही लटकाने वाले आदेश जारी हुए। अब विभाग के डायरेक्टर अपने अंदाज में जमे हुए है। अब देखना है कि जल जीवन मिशन कितनी कारगार रहेगी।
हवा में तीर चलाते रहिए दीपक बेंज जी
राजनीति में चोरंगी लाल दो मुखिया स्टेटमेंट की बड़ी जरूरत होती है।सत्ता पक्ष में भिड़ंत जैसा परिदृश्य दिखाने के लिए विपक्ष को हवा में तीर चलाना ही पड़ता है। कांग्रेस के अध्यक्ष दीपक बेंज जी का एक व्यक्तव्य आया है कि भाजपा में मंत्रिमंडल गठन के बाद गुटबाजी चरम पर है। ये बात सही भी हो सकती है क्योंकि कांग्रेस का नजरिया है कि सत्ता में जो भी पार्टी बैठती है उसमें संतोषी जीव के साथ साथ विघ्न संतोषी भी जन्म लेते है। भाजपा का खंडन भी आ जाएगा कि दीपक बेंज जी अपनी कुर्सी सम्हाले,। आपको हटाने के लिए भूपेश बघेल खुले रूप से लगे है। जन्मदिन अपना मनाते है। चौबे जी से बोलवाते है। यही नहीं बिलासपुर की सभा में क्या हुआ। चमचे विषय पर ही मंथन हो गया।
भाजपा कह सकती है कि कांग्रेस शासनकाल में भारी बहुमत के बावजूद संतोष किनके पास था। बाबा साहब, रूठ कर विधान सभा से निकल गए थे। बाबा साहब को अपमानित करने का ठेका सरगुजा के विधायकों को किसने दिया था? विधायकों को मंथली पैसा देकर कहा जाता था। शांत बैठो, मै हूं ना। सारे निर्वाचित जन प्रतिनिधि साल गुजारते रहे और मलाई खा गए नौकरशाह। भाजपा ये भी कह सकती है कि कोरबा से ही कांग्रेस में “जय” चंद निकले थे। रानू साहू और सूर्यकांत तिवारी के भ्रष्ट्राचार को घर के भेदी ने ही दिल्ली तक पहुंचाया था। बिलासपुर में चल रहे तंत्र मंत्र को बिलासपुर के ही मीर जाफरों ने ही उजागर कर दिया।शराब के घोटाले को शबाब ने सामने ला दिया। भाजपा वाले कह सकते है कि घर को आग घर के चिराग से ही लगी।
बात दीपक बेंज की हो रही थी। दीपक जलता ही है रोशनी करने के लिए।अपना घर छोड़कर दूसरे के घर उजाला करने का काम कर रहे है। उनकी बात सच मान ले तो भाजपा में नए मंत्रियों की नियुक्ति के बाद गुटबाजी कहां चरम पर पहुंच गई है। ये तो सच है कि पुराने भाजपा काल में एक एक मंत्री जो विभाग पकड़े थे छोड़े ही नहीं। पूरे पंद्रह साल एक घर एक मंत्रालय का कमरा पकड़े रहे। हार कर पूर्व मुख्यमंत्री डा रमन सिंह को बोलना पड़ा था कि कमीशन का खेल बंद नहीं हुआ तो परिणाम भुगतना पड़ेगा। भुगते भी और अब भुगत भी रहे है।भाजपा में जूनियर, सीनियर टीम खेल रही है। विराट कोहली खेलना चाहे और शुभमन गिल कप्तान बन जाए तो टीम संतुलन तो बिगड़ेगा ही।
विजय शर्मा, अरुण साव, ओ पी चौधरी , सहित नए नवेले तीनों मंत्री अनुभवहीन है। अनुभव से लबरेज अमर,अजय और राजेश की तिकड़ी बाहर बैठी है। कहने को लता उसेंडी भी उस जगह पर नहीं है जहां होना चाहिए। इस बात से भाजपा में लट्टा लठी हो समझ में आती है लेकिन ये भाजपा का पारिवारिक मामला है।कलह है भी तो कारण दिल्ली है क्योंकि निर्णय तो वहीं से होता है ये बात अलग है कि संगठन इसके लिए भाजपाई सूर्यकांत को जिम्मेदार बना देते है.
लोक सेवा आयोग के बंटी और बबली
पिछले सात आठ साल से “चोर” शब्द कांग्रेस के लिए सर्वाधिक प्रयोग किए जाने वाला शब्द है। इन्हीं कांग्रेस का 2018से 2023तक पांच साल तक छत्तीसगढ़ में शासन था। अलीबाबा चालीस चोर फिल्म पूरे शासन काल में चली। चोरों का गिरोह बन गया था।” दो चोर” नाम की फिल्म लोक सेवा आयोग में बनी और खूब चली। बंटी टोमन सिंह सोनवानी और बबली आरती वासनिक।
पुराने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जब लोक सेवा आयोग में फर्जीवाड़ा का मुद्दा सुलग रहा था तब प्रेस वार्ता में बोले थे ” क्या नेता, अधिकारी, और व्यवसायियों के बच्चे प्रतिभावान नहीं हो सकते? बिल्कुल हो सकते है लेकिन ऐसे प्रतिभावान? जिनको टोमन सिंह और आरती वासनिक कोलकाता से प्रिंटर्स को बुलाकर प्रीलिम और मेंस एग्जाम के पेपर के सेट की चोरी करके प्रतिभावान बना दे ऐसा नहीं हो सकता। यही कारण था कि दिल्ली के एक पत्रकार ने भूपेश बघेल से पूछा था आपके नाक के नीचे टोमन सिंह इतना बड़ा घोटाला कर गए आपको पता नहीं चला? भूपेश बघेल खिसिया गए थे। क्यों खिसिया गए थे भूपेश जी, आपको पता था कि सौम्या चौरसिया का पाला हुआ टोमन सिंह अंधों के समान रेवड़ी खुद ही खुद को बांट चुका था। आप , सौम्या चौरसिया, टोमन सिंह सोनवानी के करतूतों पर पर्दा डालने के लिए सामने आए थे।
सीबीआई ने न्यायालय के सामने जो सच परोसा है उसमें सभी का चयन संदिग्ध है। नियम से पूरी परीक्षा निरस्त होनी चाहिए थी।जिनके बारे में प्रमाण है उनमें से कई परीक्षार्थी बाहर घूम रहे है।उन पर भी कड़ाई होनी चाहिए। श्रम विभाग वाला खलको के बेटे बेटियों का चयन पूरी तरह से संदेह के दायरे में है। आरती वासनिक, महिला अधिकारी रही है, जल्द ही उन्हें भारतीय प्रशासनिक सेवा का अवसर मिलता लेकिन वे लोक सेवा आयोग की सौम्या चौरसिया निकली। जाहिर है आरती को प्रलोभन भी सौम्या चौरसिया ने ही दिया होगा। अब आरती वासनिक भी सौम्या चौरसिया के समान जेल पहुंच गई है। पता नहीं कितना लालच भरा था इन लोगों में?
विष्णु देव साय के नेतृत्व में नक्सली सांय सांय
किसी भी राज्य नेतृत्व के बल पर ही बाकी मंत्री के कामकाज की समीक्षा होती है। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में पिछले बीस महीने में नक्सलवाद के खिलाफ ऐसा मोर्चा सम्हाला जिसके चलते ये स्थिति हो गई है कि नक्सली या तो मारे जा रहे है या समर्पण कर रहे है।
कांग्रेस शासनकाल में शहरी नक्सलियों द्वारा संरक्षित नक्सलियों ने अवैध रूप से खूब चंदा उगाही की। बीते पांच साल मे बस्तर में नक्सलवाद इतना फल फूल गया कि हथियार गोला बारूद बनाने की फैक्ट्री भी डाल दिए। भाजपा की सरकार बनते और विष्णु देव साय के मुख्यमंत्री बनने के बाद बस्तर के आदिवासियों के जीवन को सुरक्षित करने और नक्सलियों के आतंकवाद से बचाने का दोहरा आक्रमण शुरू हुआ। देश के गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में विष्णु देव साय ने गृह मंत्री विजय शर्मा को बस्तर पर निगरानी रखने के साथ खुद ने भी व्यक्तिगत रुचि रख कर केंद्रीय और राज्य के पुलिस के साथ सामंज्यस बिठाया। राज्य की इंटेलिजेंस को समृद्ध बनाकर मॉनिटरिंग कर केंद्र के संपर्क में रहे।
बदलता बस्तर और संवरता बस्तर के नारे को असली जामां पहनाने के लिए विष्णु देव साय ने बीस महीने में बड़े शानदार ढंग से रणनीति और कौशल का उपयोग कर नक्सलियों की कमर तोड़ दी है। माना जाता है कि विष्णु देव साय को राज्य का मुख्यमंत्री बनाने में अमित शाह की भूमिका महत्वपूर्ण थी। आदिवासियों को उनके हक को दिलाने के लिए उनके ही समाज को नेतृत्व मिलने के बाद विष्णु देव साय ने राज्य को अमित शाह द्वारा 31मार्च 2026 को नक्सलवादियों के समाप्ति के निर्णय को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की शांत मना कार्यप्रणाली भाजपा के कुछ लोगों सहित कुछ नौकरशाहों को हजम नहीं हो रही है। इससे बेफिक्र विष्णु देव साय , अमित शाह की कार्यप्रणाली अनुसार राज्य को नक्सलवाद खात्मे में अग्रसर है.
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