केरल। केरल हाईकोर्ट ने मंदिरों में पुजारियों की भर्ती को लेकर अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि किसी भी मंदिर में पुजारी किसी खास जाति या वंश का होना जरूरी नहीं है। अब पुजारियों की भर्ती योग्यता और प्रशिक्षण के आधार पर होगी।
पहले केरल के कुछ मंदिरों में पुजारियों की भर्ती पारंपरिक थंथरी परिवारों तक सीमित थी। लगभग 300 पारंपरिक थंथरी परिवारों वाली संस्था ‘अखिल केरल थंथरी समाजम’ ने इस नियम के खिलाफ याचिका दायर की थी।
कोर्ट ने त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (टीडीबी) और केरल देवस्वोम भर्ती बोर्ड (केडीआरबी) के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि पुजारियों की नियुक्ति के लिए योग्यता-आधारित सिस्टम लागू करना सही है। इसके तहत, किसी भी मान्यता प्राप्त संस्था से शांति पाठ्यक्रम का प्रमाणपत्र होना जरूरी है।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि बोर्डों ने कुछ ‘थंथरा विद्यालयों’ को अनुभव प्रमाण पत्र देने का अधिकार तय किया, जबकि उनके पास ऐसा करने का अधिकार नहीं था। इसके विरोध में कहा गया कि पुराने नियमों से थंथरिक शिक्षा और परंपराएं प्रभावित हुई हैं।
कोर्ट के इस फैसले से अब केरल के मंदिरों में पुजारियों की भर्ती पारंपरिक वंश के बजाय योग्यता और प्रशिक्षण के आधार पर होगी, जिससे धार्मिक प्रथाओं में बदलाव के साथ आधुनिक प्रणाली भी लागू होगी।
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